दिशा शूल ….
प्रत्येक दिवस में किसी एक दिशा में दिशा शूल होता है अर्थात् वो दिशा उस दिन यात्रा के लिए अनुचित मानी जाती है। दिशा शूल वाली दिशा की ओर यात्रा करने से दुर्घटना व असफलता के योग बनते हैं।
दूर के स्थानों और महत्वपूर्ण स्थानों की यात्रा करने से पहले सदैव दिशा शूल का विचार करना चाहिए। दिशा शूल यात्रा के समय अवांछित कष्टों, दुर्घटनाओं और आपदाओं से बचाता है। वार अनुसार दिशा शूल –
- सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा में यात्रा करना निषेध माना गया है।
- बुधवार और शनिवार के दिन उत्तर-पूर्व दिशा में यात्रा करना अशुभ होता है।
- मंगलवार और बुधवार को उत्तर दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए।
- मंगलवार को उत्तर-पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए।
- शुक्रवार और रविवार को पश्चिम व दक्षिण-पश्चिम दिशा में यात्रा करना अशुभ माना गया है।
- गुरुवार को दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए।
- सोमवार और गुरुवार को दक्षिण पूर्व दिशा में यात्रा करना वर्जित माना गया है।
- गुरुवार के दिन दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए।
यदि साधारण यात्रा है तो दिशाशूल का विचार नहीं किया जाता परंतु यदि कोई अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है तो अपनी यात्रा दिशाशूल का विचार करके ही प्रारंभ करनी चाहिए, जिससे कि आने वाली बाधाओं से बचा जा सके। यदि किसी कारणवश उक्त दिशा में यात्रा करनी भी पड़े तो उसके निवारण के कुछ सरल से उपाय बातए गए हैं, जिन्हें अपनाकर यात्रा को निर्विघ्न, सुखद व सफल बनाया जा सकता है। सर्वप्रथम घर से निकलने से पहले 5 कदम पीछे की ओर चलें। साथ ही वार अनुसार ये उपाय अवश्य करें-
- रविवार को दलिया, घी या पान खाकर घर से निकलना चाहिए।
- सोमवार को दर्पण देखकर या दूध पीकर यात्रा के लिए निकलना चाहिए।
- मंगलवाल को गुड़ खाकर यात्रा प्रारंभ करने पर लाभ मिलता है।
- बुधवार को धनिया अथवा तिल खाकर यात्रा करनी चाहिए।
- गुरुवार को जीरा या दही खाकर घर से निकलना चाहिए।
- शुक्रवार को जौ या राई खाकर यात्रा करनी चाहिए।
- शनिवार को अदरक या उड़द खाकर निकलना चाहिए।
दिशा शूल मान्य नहीं होता –
- यदि एक दिन में गंतव्य स्थान पर पहुंचना और फिर वापस आना निश्चित हो।
- रविवार, गुरुवार और शुक्रवार के दोष रात्रि में प्रभावित नहीं होते हैं।
- सोमवार, मंगलवार और शनिवार के दोष दिन में प्रभावी नहीं होते हैं।
- बुधवार हर प्रकार से त्याज्य है।