लेखक की कलम से
हाइकु …
भीषण तपिश
धरातल को घेरे
ग्रीष्म ऋतु में
पसीने भीगे
दिखते हैं चेहरे
गर्म है हवा
बेचैन रातें
सुखद है सवेरे
गर्मी है आई
तपी सी भूमि
झुलसे खेत मेरे
उफ्फ ये ऋतु
गर्म सी राहे
थके ये पांव मेरे
कठिन दिन
©सुधा भारद्वाज, विकासनगर, उत्तराखंड