लेखक की कलम से
मेरा भ्रम ….
आकृतियों से तो मेरा मन भ्रमित सा होता है
मैंने तो सुना है तुम चराचर में समाते हो, अगर आवश्यकता है तुम्हें घंटियों और आज़ानों की, तो क्या तुम चीटियों की आहटें नहीं सुन पाते हो ??
दुनिया में अब बन रहें हैं ढेरों इबादतगाह, तो क्या तुम खुद की बनायी दिल की वेदनाएं भी नहीं समझ पाते हो ??
©पूजा यादव, नालंदा, बिहार