लेखक की कलम से
लेखक की कलम से
-
परिणाम के अगोरा…..
होगे हे चुनाव अब,परिणाम के अगोरा हे| सब प्रत्याशी मन के,पांव तरी म फोरा हे|| कोन जितहि कोन हारहि,कोनो ह नी जाने| फेर अपन आप ल कोनो ह,कमती नी माने|| विधान सभा जाए बर,सब झन के जोरा हे- सोचत हों तीन दिसंबर के,जाने कैसन होहि| कोनो ह हाँसहि त,कोनो ह मुड़ धर के रोहि|| जीत अऊ हार के,सब झन ल अगोरा हे- जितहि तेहा पाँच बच्छर ले,ठेंगा …
-
समझदारी बस अपनेपन की….
सब समझ आता है मुझे, तुम्हारे गुस्से का राज़, तुम्हारा लिखा हुआ हर पन्ने पर नजदीकियों का एहसास.. हां सब समझ आता है मुझे। तुम्हारे डाटने के पीछे का प्यार, आंखों से छलके उस मोती की बात.. हां सब समझ आता है मुझे। दूसरों से छुपाया हुआ पर खुद के अंदर सिमटा हुआ एक अनजान सा डर.. हां सब समझ आता है मुझे। इक तकिए में छुपाए हुए उन…
-
बारिश में देखा…
बारिश में देखा भीगते चेहरों को हंसते मोहरों को खिलखिलाते पौधों को बिलबिलाते पशुओं को बारिश में देखा भावों के अनकहे एहसासों को खिलने के अतुलित निशानों को बढ़ने के अविरल हिसाबों को बिखरने के असीमित आधारों को बारिश में देखा गड्ढों से उछलती कीच़डो को गड्ढों में डूबती टायरों को शोर में गुम होते घायलों को गाड़ियों की श्रृंखलाओं को बारिश में देखा आकाश से गिरते…
-
पहलवानों के प्रदर्शन पर भाजपा समर्थित सांसद बृजभूषण शरण बोले- ‘गंगा में मेडल बहाने से मुझे नहीं मिलेगी फांसी, ये इमोशनल ड्रामा है’, आरोप साबित हुआ तो फांसी पर खुद लटक जाऊंगा…
बाराबंकी। भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख और भाजपा समर्थित सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों का प्रदर्शन जारी है। मामला इतना बढ़ गया है कि अब बात मेडल को गंगा में बहाने तक पहुंच गई है। हालांकि, इस मामले को लेकर WFI के प्रमुख और भाजपा समर्थित सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने बयान दिया है। भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने कहा है कि अगर मेरे खिलाफ एक भी…
-
मध्यप्रदेश में कुछ बड़ा होने वाला है…
कर्नाटक चुनाव का असर मध्यप्रदेश में दिखने लगा है . उमस के साथ ही राजनीतिक तापमान गर्माने लगा है . जानकारों का मानना है कि अगले पंद्रह दिन में मध्यप्रदेश की राजनीति में एक साथ कई धमाके हो सकते है. सबसे पहला धमाका तो बीजेपी में ही चर्चा में है वो ये भाजपा के आंतरिक सर्वे ने पार्टी की नींद उड़ा दी है. सर्वे में सामने आया है कि मौजूदा…
-
पत्नी ही कुलनाम क्यों बदले ? अब पति भी तो कुछ सुधरें …
आदिवासी इलाका मेघालय तथा अत्याधुनिक अमेरिका में एक नए समान प्रचलन ने हलचल मचा दी है। स्वागतयोग्य है। अब संतान को मां के कुलनाम से जाना जाएगा। अमेरिका में तो पति भी पत्नी का कुलनाम अपने नाम में जोड़ रहे हैं। समरसता को बोध हो रहा है। मेघालय से तो गत सप्ताह की खबर बड़ी मनभावनी है। खासी जनजाति परिषद ने निर्णय किया है कि मां के नाम से ही…
-
दैवीय शक्ति से लोगों को ठीक करने का दावा करने वाला पुजारी खुद पहुंचा अस्पताल, प्रसाद खाने से पुजारी समेत 8 गंभीर…
बांदा. एक तरफ शैक्षणिक डिग्रीधारियों की संख्या बढ़ रही है तो दूसरी तरफ देश में अंधविश्वासी लोगों की आबादी भी बहुत ही तेजी से बढ़ रही है. लोग पाखंड के जाल में फंस रहे हैं. लोगों को दैवीय शक्ति से ठीक करने का दावा करने वाला पुजारी खुद अस्पताल पहुंच गया. दैवीय शक्ति के खेल में एक पुजारी और उसकी पत्नी और 6 बच्चे मंदिर का जहरीला प्रसाद खाने से…
-
मुल्क नीमबेहोश है….
बहुत सख्त मौसम है भाषा व्याकरणहीन हो चुकी है और शब्द छूट गए हैं जड़ों से जैसे आंधी में पत्ते टूट जाते हैं शाखों से. गाने भी फुसफुसाहटों में बदल गए हैं मैं भी बयान नहीं कर पाता ठीक ठीक इस बदले मंजर का बस अर्धमूर्छा में बड़बड़ाता हूँ. पूरी बस्ती छिपने में लगी है क्योंकि चला आ रहा है एक लश्कर जहर फेंकता. मुल्क…
-
अलकायदा की धमकी के बाद अतीक-अशरफ के लवलेश तिवारी समेत तीनों शूटरों की और बढ़ाई गई सुरक्षा, आज रिमांड हो रही पूरी…
प्रतापगढ़. आतंकवादी संगठन अल-कायदा ने सात पन्नों की मैग्जीन जारी कर कहा कि इस हत्याकांड का बदला लेंगे. कुख्यात आतंकी संगठन की इस धमकी के बाद जांच एजेंसियां हाई अलर्ट पर आ गई हैं. तीनों आरोपियों को कोर्ट ने चार दिनों की रिमांड में भेज दिया था, जो रविवार शाम 5 बजे खत्म हो रही है. जिसके बाद इन्हें प्रतापगढ़ लाया जा सकता है. प्रयागराज में शनिवार, 15 अप्रैल को…
-
Atiq Ahmed की हत्या के बाद भाजपाइयों ने फोड़े पटाखे, UP में धारा 144 लागू, CM योगी ने जांच के लिए की न्यायिक आयोग की घोषणा…
लखनऊ. माफिया अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की शूटआउट में हत्या के बाद उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कानपुर में भाजपा कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़े हैं.मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं. उन्होंने यूपी डीजीपी समेत तमाम आला अधिकारियों को प्रयागराज जाने के निर्देश दिए हैं और हर दो घंटे…
-
प्यार का नशा ….
आदमी का अलग-अलग चेहरा, बे-वफ़ा और बा-वफ़ा देखा, देख के आज वक़्त की सूरत, फिर कई बार आइना देखा, इश्क़ में एक हादसा देखा, चढ़ गया प्यार का नशा देखा, धर्म क्या चीज है इसे समझो, राम देखा वहीं ख़ुदा देखा, बात कैसी रही मुहब्बत की, वस्ल की रात फासला देखा, हमने देखा उसे सफल होते, ख़्वाब जिसने बहुत बड़ा देखा, शहर की भीड़…
-
प्यार का आधार…
आपके प्यार का आधार लिए बैठे, हैं आ भी जाओ दिल-ए- बेज़ार लिए बैठे हैं। यह मेरा हौसला है मेरा तकल्लुफ हमदम दिल लगी आपसे हर बार लिए बैठे हैं मैंने बस आपको चाहा है खता क्या मेरी आप तो रुखसत ए व्यापार लिए बैठे हैं आपके पास मेरे दर्द की दवा भी है आप ही चैन की सरकार लिए बैठे है अब कहां जाऊं…
-
तुम कब मिलने आओगे ….
मेरी आंखों में खुशियों के, अमृत कब बरसाओगे तुम कब मिलने आओगे। इंतज़ार मुझको है प्रति क्षण, सतत निहारूँ गलियों को, मेरे मन का उपवन उजड़ा, देखो मुरझाई कलियों को गीत नहीं गाते अब भंवरे , कितने दिन और लगाओगे, तुम कब…….. प्रियतम तेरी याद में जीते , सदियां, वर्ष, दिन पे दिन बीते, मेंहदी रची भाग्य न बदला जोड़े हाथ रह गये रीते, आखिर कितना…
-
जीवन….
जीवन ऐसे ही बीत गया झंझाबातों से जीत गया कब धूप मिला, कब छांव खिला धूप छांव से ही घिर गया! पगडंडी के पथिक सभी कुछ छूट गए, कुछ रूठ गए यात्रा अविरल बह निकला धाराओं का क्रम कहां छूटा! स्मृतियों का ताना-बाना सा कुछ खट्टी मीठी यादों का हम ऋणि बने हैं उनके ही जो जख्म दिए अविश्वासों का! जीवन है नद सा बहता एक दिन…
-
बेटियां …
आसमान कहां तय करता है, उड़ान उनके सपनों की। बस,अंतिम छोर के क्षितिज तक, उड़ना चाहती है,बेटियां । समुंद्र की गहराई नहीं जानती, फिर भी महासागरों में गोते लगाना चाहती है, बेटियां । कायदे वायदे उन्हें ना समझाएं, ये दुनिया,बस हर हाल में, रिश्ते निभाना जानती है,बेटियां। एक घर से दूसरे घर की, दहलीज लांघकर सब के, दिलों में जगह बनाना जानती है,बेटियां । कभी कल्पना चावला, कभी पीटी…
-
तुम सा प्रेम…
लोक लाज तजकर प्रेम में पागल होई, किशोरी! तुम सा प्रेम करे क्या कोई। न भाए यमुना तट,न भाए मनोहर कुंज के वन, न ललचाए वृंदावन की गलियां औ शीतल पवन। श्याम विरह अति भारी, व्याकुल नैन दो रोईं, किशोरी! तुम सा प्रेम करे क्या कोई। जब से गए मथुरा नगरी, यूं छोड़ गोकुल धाम, भरे हुए दूध माखन मटकी,राह तके सुबह शाम। सांवरी सूरत के…
-
नये….. साल में…
नये साल में जिंदगी के नये तरीक़े इजाद कीजिए। दूसरों पर रखीं उम्मीदें समेट कर खुद पर उम्मीद कीजिए। नये साल में जिंदगी के नये तरीक़े इजाद कीजिए। एक -एक ग्यारह जरूर होते है। एक बनकर अपनी कीमत की पहचान कीजिए। गलत -गलत…… गलत का । जब शोर मचा हो। मैं सही हूँ…… इस बात पर हमेशा गौर कीजिए। नये साल में जिंदगी के नये …
-
साक्षात्कार ….
आज हुआ स्वयं से साक्षात्कार ढूंढती थी मैं जिसको– वो मेरे अंदर ही तो है। स्वयं से हुआ आज मेरा साक्षात्कार! संसार में रहकर खोजती थी जिसको वो मेरे अंदर ही तो है– हाँ मेरा आत्मविश्वास। स्वयं से हुआ आज मेरा साक्षात्कार! कोई सहारा दे मुझको नज़रे ढूंढती वो मेरे अंदर ही समाया– हाँ मेरा दृढ़ संकल्प । स्वयं से हुआ आज मेरा साक्षात्कार ! उच्चतर…
-
पिंजरे के पंछी रे तेरा दर्द न जाने कोय ….
अक्षय नामदेव। हिंदी फिल्मीं संगीत में रुचि रखने वाला ऐसा कौन व्यक्ति होगा जिसने कभी ना कभी। “पिंजरे के पंछी रे तेरा दर्द न जाने कोय”गीत ना गुनगुनाया होगा? यह ऐसा गीत है जिसमें हर किसी व्यक्ति को अपने दर्द का ही एहसास होता है और लगता है कि यह गीत उसी की कहानी कह रहा है। यही तो कवि प्रदीप की विशेषता थी कि उनके लिखे गए गीतों में…
-
सफलता ….
सफलता की परिभाषा। यह नहीं……… आप ने जीत ली है दुनियां। मार कर अनगिनत शत्रुओं को। विजयी पताका फहरायी हैं। इतिहास बनाया है । जिन लाशों के ढेर पर। उस सफलता में नहीं शायद ही कोई सच्चाई है। सफलता की परिभाषा। यह नहीं…….. आप ने ज्ञान की गंगा । कहाँ तक बहायी हैं। अंधविश्वासों की परतें कितनी हटाई है। अंधकार में रह रही मानवता में , ज्ञान की…
-
प्रकृति से प्रेम ….
दिन भर के आपा धापी से, जब थक जाती हूँ, तब बहुत सुकून देता है, प्रकृति का वह रहस्यमयी कलाकारी स्पर्श, जो आसमानों में ईश्वर ने अपनी कूँची में, अनगिनत रंगो को भरकर बिखेरी हैं। शाम को गोधूलि बेला में छत पर, बरबस निगाहें एक टक निहारती हैं। नीला आकाश और पंछियों का कतार, जो अपने घर की ओर जाते हैं। भगवान सूर्य अपनी किरणें को समेटते हुए, अस्ताचल…
-
मतीरों ….
भरेड़ी सब्जी मंडी रे बीचो-बीच, मतीरें ने मस्करी सुझण लागी, ज्यों ही सब्जी वाले ने पाणी रे छींटे दिए। सगली सब्जी री अचेतना भागण लागी। मतीरों बोल्यो काकड़िया से, थारो भी मौसम आया करें है काई, काकड़िया मुस्कुराती हुई बोली, पीजा, बर्गर खा वाला टाबरिया भी माह्ने, बड़े चाव से खाया करें हैं। ग्वारफली भी मनडा़ माई फूलण लागी, तुरई, बैंगन, लौकी, टिंडा ने अपणें बढ़ते भाव दिखाणें खातिर…
-
अवनि से अंबर तक ….
पुस्तक समीक्षा- डॉ शेफालिका वर्मा । साहित्य समाज का दर्पण है और अब साहित्य संस्कार का दर्पण हो गया है। समाज रहा कहाँ? जहाँ एकात्मकता होती थी, एक दूसरे के साथ मिलकर दुःख -सुख बाँटते थे वह होता था समाज मगर अब? अब सभी सिर्फ अपने लिए है। समाज टूट रहा है, परिवार बिखर रहा – पर औरत का दर्द, मन की व्यथा मन में ही रह गयी है, यूँ…
-
लिव इन या विवाह,एक यक्ष प्रश्न आज का ….
एक पत्र बेटियों के नाम… प्यारी बेटियों मां-बाप का तुम कहना मानो, उनकी तो तुम जान हो, कोई दूजा तुमको ना समझेगा, उनके लिए तुम सिर्फ सामान हो। बहकावे में तुम मत आना, ये तो बस एक छलावा है, परिवार ही बस शुभचिंतक तुम्हारा, बाकी हर चीज दिखावा है। अपनी अस्मत आप बचाना, छठी इंद्रिय तुम खोलो, नहीं भरोसा अजनबी पर करना, ना सुनो उसकी…